विश्व साहित्य संस्थान क्रमांक - 11

विश्व साहित्य संस्थान , क्रमांक - 11

कविता :- 20(07)  , मंगलवार , 25/05/2021
साहित्य एक नज़र 🌅 अंक - 15

Portrait sketch by :शिवशंकर लोध राजपूत (दिल्ली), व्हाट्सप्प no. 7217618716
Portrait of :roshan kumar jha
साहित्य संगम संस्थान उत्तर प्रदेश इकाई
25/05/2021 , मंगलवार
धन्यवाद सह सादर आभार 🙏
आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी

रोशन कुमार झा

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काव्य मंच
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पश्चिम बंगाल

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धन्यवाद सह सादर आभार 🙏
आ. शिवशंकर लोध राजपूत जी

अंक - 15

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साहित्य एक नज़र , अंक - 15
अंक - 15

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कविता :- 20(09)
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विश्व साहित्य संस्थान
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अंक - 17
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/17-27052021.html
वृहस्पतिवार , 27/05/2021
कोरोना काल
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कविता :- 20(07)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2007-15-25052021.html
अंक - 16
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/16-26052021.html

कविता :- 20(08)
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( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

साहित्य एक नज़र , अंक - 16
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
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🌅 साहित्य एक नज़र  🌅
Sahitya Eak Nazar
25 May , 2021 , Tuesday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 15
25 मई 2021
   मंगलवार
वैशाख शुक्ल 14 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 16 ( आ. डॉ प्रमोद शर्मा प्रेम जी )
कुल पृष्ठ - 17
अंक - 15

साहित्य एक नज़र , अंक - 15

( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )
अंक - 14

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अंक - 14
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कविता :- 20(09)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/2009-27052021-17.html
पश्चिम बंगाल विषय प्रवर्तन
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अंक - 17
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/17-27052021.html
वृहस्पतिवार , 27/05/2021
पश्चिम बंगाल विषय प्रवर्तन - कविता
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1 -15 तक साहित्य संगम संस्थान

साहित्य एक नज़र
( कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका )

Sahitya Eak Nazar
সাহিত্য এক নজর

अंक -1
11/05/2021
मंगलवार
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
पृष्ठ - 1
कुल पृष्ठ - 4
वैशाख कृष्ण 15 संवत 2078
कविता :- 19(92) - 19(93)

अंक - 1
11/05/2021 , मंगलवार ,
https://online.fliphtml5.com/axiwx/uxga/?1620796734121#p=3
अंक - 2
https://online.fliphtml5.com/axiwx/gtkd/?1620827308013#p=2
अंक - 3
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ycqg/
अंक - 4
https://online.fliphtml5.com/axiwx/chzn/
आहुति पुस्तक
https://youtu.be/UG3JXojSLAQ

अंक - 5
https://online.fliphtml5.com/axiwx/qcja/
अंक - 6
https://online.fliphtml5.com/axiwx/duny/

अंक - 7
https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/ https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/#.YKJFU5FVC0M.whatsapp

https://online.fliphtml5.com/axiwx/fwlk/

अंक - 8
https://online.fliphtml5.com/axiwx/xbkh/
अंक - 9
https://online.fliphtml5.com/axiwx/myoa/

अंक - 10
https://online.fliphtml5.com/axiwx/kwzu/
अंक - 11
https://online.fliphtml5.com/axiwx/qlzb/
अंक - 12
https://online.fliphtml5.com/axiwx/hnpx/
अंक - 13
https://online.fliphtml5.com/axiwx/ptrj/
अंक - 14
https://online.fliphtml5.com/axiwx/eyqu/

अंक - 15
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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

मिथिलाक्षर भाग - 3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-2000-18052021-8.html
मिथिलाक्षर भाग - 2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2.html

मिथिलाक्षर भाग - 1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/04/blog-post_95.html



नारी
 हां नारी
 इस समाज में नारी को मां का दर्जा दिया जाता है
 हां नारी
 पर यह समाज मां शब्द को बस दर्जे में ऊंचा रखते हैं
 हां नारी
 यह समाज मंदिरों में ईश्वर के सामने घुटने में बैठकर अपनी मुरादे मांग लेते हैं,
 पर अपनी समाज की मां को वृद्धा आश्रम में रखते हैं 
अपनी समाज की नारी मां बहनों को यह सीख देते हैं
 नारी माने, कम बोलो
 नारी मांने , अपनी आंखें नीचे रखो
 नारी मतलब, सही का विरोध ना करो
 हां नारी
 घरों के काम में ध्यान दो अपनी अच्छा और खुशियों का गला घोटओ
 हां नारी 
नारी माने, बस चारदीवारी में रहने वाली जिसको चारदीवारी के बाहर समाज से दूर दूर तक कोई लेना-देना
 नहीं
 हां नारी
 जिसे शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं
 हां नारी
 जिसकी अपनी पहचान कुछ ना हो
 हां नारी!!

 ✍️ नेहा भगत
 पानागढ़ पश्चिम बंगाल
मंगलवार , 09/02/2021

कविता :- 19(94)

12/05/2021 , बुधवार

कविता :- 19(92)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1992.html

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/05/1994.html

आ.नेहा भगत जी
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विश्व साहित्य संस्थान नया
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विश्व साहित्य संस्थान
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विश्व न्यूज़
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साहित्य एक नज़र , नया ,
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साहित्य एक नज़र
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अंक -2
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/2-12052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/gtkd/?1620827308013#p=2

अंक -1
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/1-11052021.html

https://online.fliphtml5.com/axiwx/uxga/?1620796734121#p=3

अंक -3
http://vishnews2.blogspot.com/2021/05/3-13052021.html





अंक - 41

https://online.fliphtml5.com/axiwx/tjxw/

अंक - 40
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जय माँ सरस्वती
एक साल हो गया विश्व साहित्य संस्थान का
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साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 41

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

अंक - 41
20  जून  2021

रविवार
ज्येष्ठ शुक्ल 10 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ -  13

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
88.आ. नेतलाल यादव जी

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 से 44 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

फेसबुक - 1

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फेसबुक - 2

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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 41 , रविवार
20/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 41
Sahitya Ek Nazar
20 June 2021 ,  Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

1.
परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

प्रकाशक
रूद्रादित्य प्रकाशन
190 एच/आर/3-एन, ओ0 पी0 एस0 नगर कालिंदीपुरम, प्रयागराज उत्तर प्रदेश- 211011
दूरभाष - 8187937731

आज प्रथम चरण की समीक्षा में मैं लेकर आया हूँ श्री रामकरण साहू "सजल"जी का ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल" तो ज़नाब  मैं प्रथम चरण की समीक्षा में बात करता हूँ प्रकाशक की इस पुस्तक के प्रकाशक हैं।
रूद्रादित्य प्रकाशन,  ये एक नया प्रतिष्ठान है लेकिन मैंने इनकी प्रकाशित की पुस्तकों का अवलोकन किया तो किसी भी पुस्तक का आवरण या संपादकीय में कोई कमी महसूस नहीं हुई। ऐसा एहसास ही नहीं हुआ कि मेरे हाथ मे किसी नये प्रकाशक की पुस्तक है । और जब श्री रामकरण साहू "सजल"  जी का ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल" का आवरण और कागज़ की गुणवक्ता को देखा तो ऐसा एहसास हुआ जैसे किसी अनुभवी प्रकाशक की पुस्तक हो। इनकी पुस्तक के प्रकाशन का तरीका ऐसा जैसे कोई अनुभवी तैराक अपनी तैराकी के हुनर दिखाते हुए अपने गन्तव्य की ओर बढ़ रहा है। ऐसे ऊर्जावान प्रकाशक को मेरी अनेकों शुभकामनाएं। पुस्तक की समीक्षा लेकर कल दूसरे चरण में मैं फिर उपस्थित होऊँगा। तब तक के लिये
राम-राम

समीक्षक - ✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

---------
पिता के कदमों में चारों धाम है ।

पिता घर के आसमान हैं
पिता परिवार के शान हैं
पिता बच्चों के अरमान हैं
पिता  बहुत मूल्यवान हैं  ।
पिता जीवन के संचित ज्ञान हैं
पिता समाज के मान है
पिता संतानों के धनवान है
पिता के कदमों चारों धाम है
पिता मेहनत करते हैं
पिता तकलीफ को सहते हैं
पिता आशीर्वचन ही देते हैं
दुनियाँ दूसरे भगवान कहते हैं
पिता संस्कारों के बीज बोते हैं
पिता अनुशासन प्रिय होते है
पिता सिंधु-सा गंभीर होते हैं
पिता मुश्किलें में वीर होते हैं  । ।
                                 
✍️    नेतलाल यादव
पता - चरघरा नावाडीह,
पंचायत-जरीडीह, थाना-जमुआ ,
जिला-गिरिडीह (झारखंड)
पिन कोड़-815318
व्हाट्सएप नम्बर-829419071

असीमित खरोंचे , ✍️ डॉ. मधु आंधीवाल

पूस की रातें बहुत ठंडी होती है। यह पुरानी कहावत है। ऐसी ही एक ठंडी रात थी । मानसी बैचेनी से ठहल रही थी । घर के सब सदस्य सो चुके थे । अभी अभी ब्रेकिंग न्यूज में सुन रही थी कि कल फुटपाथ पर सोने वाली एक मानसिक रुप से कमजोर लड़की को कुछ लोग उठा कर ले गये और उसके साथ बलात्कार करके छोड़ गये नग्नवस्था में ठिठुर कर उसकी लाश को पुलिस ने बरामद किया ।  ये खबर उसके जेहन में हल चल मचा रही थी । शादी से पहले उसके घर के सामने एक प्रेस वाला मोहन सारी कालोनी के कपड़े प्रेस करता था । वहीं उसने अपनी छोटी सी झोपड़ी बना रखी थी । उसकी दो बच्चियां थी । एक बच्ची मानसिक रुप से कमजोर थी । दोनों बच्चियां मानसी के पास आजाती थी । मानसी एक स्कूल में अध्यापिका थी । वह उनको पढ़ाती रहती थी । एक रात शायद सबसे ठंडी रात थी । तेज हवा बारिश एक तूफान सा आया हुआ था । इस तूफानी रात में तीन नर पिशाच भी नशे में धुत उस झोपड़ी के आगे रुके । झोपड़ी का दरवाजा कमजोर था । एक लात के प्रहार से वह खुल गया । तीनों ने उस मासूम बच्ची को उठाया और ले जाने लगे । बड़ी बहन ,मां और बाप शोर मचाते रहे पर तूफानी रात के शोर में किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी या कहिये कोठीवाले उन गरीबी आबाजों को अनसुना कर गये । मानसी जाग कर जब तक वहाँ पहुँची वह कुछ समझ पाती देर हो चुकी थी । मानसी ने मोहन के साथ मिल कर अधेंरे में खोजा पर कुछ नहीं पता चला । मानसी पूरी रात झोपड़ी में उन लोगो के साथ बैठी रही । सुबह रात का तूफान थोड़ा थमा । बाहर दूर तक निकल कर ढूंढा एक गड्ढे में उस मासूम बच्ची की लाश असीमित खरोचों के साथ खून से लथपथ ठंड में ठिठुरी हुई मिली । कितना मुश्किल होता मां बाप को दिलासा देना । आज समाचार ने उसके दिल विचलित कर दिया । शायद ये घटना कभी कम ना होगी ।

✍️ डॉ. मधु आंधीवाल

पिता को नमन

पूज्य पिता को नमन है मेरा
शत - शत बार प्रणाम।
कोटि - कोटि वंदन है उनको
बारम्बार प्रणाम।
पिता है तो हम हैं
हम हैं उन्हीं की कृपा से।
पले हैं, बढ़े हैं आज जमीं पे
खड़ा हैं उन्हीं की कृपा से।
अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया
हंसाया, रुलाया
अंदर से मजबूत बनाया।
पिता है तो हर सपने हैं अपने
हर खुशियां, उमंग
और चाहत है अपने।
अपनी ख्वाहिशें दफ़न कर
पूरा करते हैं
परिवार के हर सपने।
अभिलाषा है उनकी बड़े हो कर
नाम रौशन करेंगे औलाद,
पूरा करेंगे पिता के सपने।
मां की ममता है छलकती अगर
तो पिता का पुण्य भी है बरसता।
ये भीम समझ जग में कैसा है
पिता का पावन -ए-रिश्ता।
           
  ✍️ भीम कुमार
गांवा, गिरीडीह, झारखंड

#साहित्य एक नजर.
अंक - 41 से 44.
दिनांक - 20/6/2021.
परित्राण प्रत्याशा.

अग्नि पुष्प की आभा से
निरर्भ अभ्र में गूंजती
निरति निरत नियति
कराह कमलपुष्प की
विध्वंस के विलाप में.
र्निलेप नियंता मूक है
निर्निमेष निहार रहा
योगी है निमग्न योग में
जिद्द है कि मानता नहीं
परेशान धर्म आचमन से
जातियों के सूखते जल से
कोरोना के जलकुम्भियों से
मुरझा रहा कमल क्लेश से.
मुमुर्षा के परित्राण में
जिजीविषा की खोज में
धन्वंतरि की प्रत्याशा में
अनुष्ठानित यज्ञ प्रारंभ है
प्रज्जवलित समिधा धूम्र से
यज्ञ फल आशांकित है.

✍️  अजय कुमार झा.

उठो  भद्रे  प्रकृति  सुकुमारी
नव   नूतन   श्रृंगार   करो !
सजन  सॉवरे   द्वारे   आये
तुम उनका सत्कार करो !!
चले    गए   थे    दूर  पिया
तुझे  छोड़  अकेली
अश्विन   में !
मिल  कर   उनसे   तुम अपने
मन   की   बातें  चार  करो !!
संग   लाये    है    मेघा  प्यारे
बूँदों   का अनुपम उपहार  !
भीग  जाओ   तुम  उसमे  सारी
शांत  हिये   अंगार  करो !!
भर   लो  अपने   ताल   तलैया
तुम  वारि    की    रिमझिम  से !
तोड़  के  अपना  मौन  का  व्रत
तुम  सरगम   की   झंकार करो !!
निकलों अपने  कोप  भवन  से
बदलों   अपना  तुम परिवेश !
फिर से  महक  जाओ  मस्ती में
घर   अँगना  में  बहार  करो !!

✍️ " कवि " सुदामा दुबे
  मुकाम - बाबरी पोस्ट - डिमावर  
तहसील - नसरूलागंज
जिला - सीहोर  ( म० प्र० )

भाग्य और कर्म , ✍️ धीरेंद्र सिंह नागा

एक ही टाइम ( समय ) पर दो बच्चों का जन्म होता है। एक का जन्म राष्ट्रपति के यहां और दूसरे का जन्म किसान के यहां, एक की किस्मत में सोने की थाली में खाना और दूसरे की किस्मत में पत्तल में खाना। यह तो हुआ भाग्य। राष्ट्रपति का बेटा जो अपने आप को संविधान का बेटा समझता है और वह किसी  अपराध की दुनिया में कदम रख देता और अपराधी बन जाता है और किसान का बेटा कड़ी मेहनत और अध्ययन करके जज बनता है और यही जज उस राष्ट्रपति के बेटे को सजा-ए-मौत सुनाता  है। यह तो हुआ कर्म।भाग्य से कर्म नहीं  बनता बल्कि कर्म से भाग्य बनते है।
      
✍️ धीरेंद्र सिंह नागा
ग्राम- जवई, तिल्हापुर ,
कौशांबी,  उत्तर प्रदेश

पिता

पिता से ही मेरी दुनिया
है, इतनी न्यारी-न्यारी
पिता ही मेरे जीवन दाता
पिता ही  मेरे जीवन
का है आधार
पिता की उँगली
पकड़कर ही
देखी मैंने दुनिया सारी
पिता से ही मेरे सपनों
को मिलता पँख
पिता ही मेरे संस्कारों
के कर्त्ता धर्ता
पिता से ही मेरी हिम्मत है
जीवन के मार्गदर्शक पिता मेरे
पिता से ही जीवन में हैं
मेरे अनंत प्रेम
पिता ही मेरे अभिमान है
उनसे ही है पहचान मेरी
पिता ही मेरी खुशियों
के है हमराज
पिता ही मेरे सच्चे साथी
पिता ही मेरे है सुरक्षा कवच
परिवार की मज़बुती
का राज है पिता
बिन इनके मेरा जीवन
मानो जैसा कोरा कागज़।

✍️ सपना 'नम्रता'


हर वक़्त सोचता रहता हूँ ,
कैसे तुम्हें हँसाऊँ मैं?!
खुद़ बनकर मुस्क़ान तेरे,
होठों में बस जाऊँ मैं?!!
ये कैसा बधंन है अपने बीच,
और कैसे अच्छे से निभाऊँ मैं!
ग़र आराम मिले मेरे छूने से,
माथे पे तेरे सहलाऊं मैं!
सुकून से नींद मुकम्मल हो तेरी,
तुझे ख़्याव में झूला झुलाऊँ मैं!
तनाव से राहत मिल सके तुझे,
एक कड़क चाय पिलाऊँ मैं !
ग़र ऊब गई हो घर में बैठे बैठे,
चल आ न तुझे घुमाऊं मैं!
चीनी लाईफलाइन हो
तुम जिन्नी की,
अब कैसे यकीन तुम्हें दिलाऊँ मैं!
तू खुश रहे वस ये चाहुँ मैं,
तेरी ख़ुशी पे कुर्बान हो जाऊँ मैं!
तेरी जिंदगी रहे रौशन ऐ दोस्त,
दीया बनकर ख़ुद जल जाऊँ मैं!

✍️ राजेश "तन्हा"
रतनाल, विश्नाह, जम्मू ,
जे के यू टी-181132

||ॐ वागीश्वर्यै नमः||

        पितृदिवस

पितृदिवस सब शोर मचाते|
संदेश बधाई जग  लहराते||
पिता या संतति  कौन मनाएं?
पितृत्व का कौन भाव जगाएं?
कल्पनाओं से सपने बुनता|
बुजुर्गों की राह  भी चलता||
एक दिवस वह दारा को पाता|
पितृत्व मग नव पग को बढाता||
घर में आनंद संगीत लहराए|
संतति पितृ पद जब दिलाए||
हँसकर पिता हर पीड़ा पीता|
हर पल संतति हित वह जीता||
संतति बिन सब जग है रीता|
उर नेह मुख  क्रोध ले जीता||
संतति-खुशियाँ शान बढ़ाती|
उन्नति उनकी मान बढाती||
हरा पिता को जीत दिलाएं|
विश्व में उनका मान बढ़ाएं||
पिता को सत्कर्मों से हर्षाए|
वही सच्ची संतति कहलाए||
हम क्यों पितृ दिवस मनाएं?
निज सदाचरण से उन्हें हर्षाएं||

✍️   गणेश चंद्र केष्टवाल
मगनपुर किशनपुर
कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड

सादर प्रेषित

       ग़ज़ल

क्या खबर थी आपके
बिनअब गुजर होगी नहीं
जिन्दगी अपनी ही अपने
  से बशर होगी नहीं |
पत्थरो का आईनों पर ..
ये ही होता है कर्म
मिट भी जायें दोस्ती मे
कुछ कदर होगी नही|
लाख तोहमत भी लगाये
नेक लोगों पर जहाँ
इनकी कोई भी नजर
पर बदनजर होगी नहीं |
कब तलक खाते रहेंगे
रोज बेटी.. भेडिये
ये अँधेरा कब मिटेगा ...
क्या सहर होगी नहीं |
दर्दो ग़म से थक चुके
है मेरे रब इतना... बता
क्या खुशी थोडी बहुत
भी अब इधर होगी नहीं |
माँ के मन को ना दुखा
तू सुन अभागे मान ले
कितनी भी करना
इबादत बाअसर होगी नहीं |
स्वार्थों की ज्यादती
ने प्रेम.. दिल पत्थर किये
इस जहाँ मे स्वार्थ के
बिन अब गुजर होगी नहीं |

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम  
नजीबाबाद बिजनौर

"हाँ मैं पिता हूँ "

कर्तव्य पथ आरूढ;
निज -धर्म निभाता हूं।
हां पिता हूं व्यक्त नहीं
कर पाता हूं!!
मेरे ह्रदय के टुकडों सुनो~
मैं अब तुमलोगों में
ही जिन्दा हूं।
मैं पतवार हूं ~
हर संकट से तुम्हें
खींच लाता हूं!!
मैं पिता हूं व्यक्त
नहीं कर पाता हूं।
तुम्हें मिले हर खुशी
जो मैंने ना पाई है;
इसलिए आज भी कर्म
अपना नित निभाता हूं।
मैं स्नेह-पाश से बंधा हूं,,
तुम फलो-फूलो,
वट-वृक्ष बनो,
इसलिए हर बाधा को
मोङ देता हूं;
मैं पिता हूं व्यक्त
नहीं कर पाता हूं।
पर तुम्हें कष्ट हो कोई ,
ये देख नहीं मैं पाता हूं ।
आश्रय मिले तुम्हें छांव का;
इसलिए ही जीवन
का कङा धूप
सहता जाता हूं।
हां मैं पिता हूं,,,
व्यक्त नहीं कर पाता हूं।

* एक पिता के मन की भावना *
 
✍️ डाॅ . पल्लवी कुमारी "पाम "

मेरे पापा -

अनुभव तो नहीं एहसास है।
उनकी मेहनत पर नाज है।
पापा की लाडली बिटिया मैं
वो मेरे सर के ताज है।।
भरपूर प्यार बरसाते है।
कदमों से कदम मिलते है।
अटूट प्रेम मुझसे करते,
मेरे दिल की अरदास है ।।
       पापा....... 
जीवन का अर्थ बताते है।
जीने की राह दिखाते है।
मेरे खातिर वो नायक है,
माँ के माथे की साज है।।
  पापा........
हर ख्वाहिश पूरी करते।
चुन चुनकर खुशियाँ भरते।
मेरी हिम्मत मेरी ताकत,
एक पावन सा एहसास है।।
        पापा.......
राहें मेरी है मुसाफिर वो।
चाहत मेरी पर माहिर वो।
सपने दिखलाए है मुझको,
पाने की उनमें प्यास है।।
       पापा.......
पापा की लाडली बिटिया मैं।
वो मेरे सर के ताज है।।

✍️ सरिता त्रिपाठी 'मानसी'
सांगीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

नमन मंच
🙏सभी को गंगा दशहरा की शुभकामनाएं

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि आज यानि २० जून को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से मां गंगा की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। मां गंगा की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से घर में रहकर ही मां गंगा की पूजा- अर्चना करे। कोरोना काल में गंगा दशहरा का पर्व घर पर ही मनाएं. इस दिन सुबह स्नान करने से पूर्व जल में गंगा जल की कुछ बूंंद मिलाएं. और माँ गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करें. इसके बाद स्वच्छा वस्त्र धारण कर पूजा प्रारंभ करें. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद घर में भी गंगाजल का छिड़काव करें. जरूरतमंद लोगों को दान भी दें. हिंदू धर्म में पतित पावनी व मोक्षदायिनी मां गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है, जिसमें आस्था की डुबकी लगाने मात्र से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं. मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा  के नाम से जाना जाता है. मां गंगा धरती पर मानव जाति और जगत के कल्याण के लिए अवतरित हुईं थी, इसलिए गंगा दशहरा के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।मेरी और से पुनः आपसभी को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।

✍️ डॉ. मंजु सैनी
गाज़ियाबाद
🌹🌹🌹🌹🎈🙏💐

संपादिका :-
✍️ आ. ज्योति झा जी
बेथुन कॉलेज , कोलकाता

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली
दैनिक पत्रिका की
मधुबनी इकाई ( साप्ताहिक )

#विषय-_झांसी की रानी स्मृति दिवस"
#दिनांक-19/6/2021
#विधा-कविता

- झांसी की रानी स्मृति दिवस "

आज सुनाती हूं मैं कहानी,
वीरांगना लक्ष्मीबाई की,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो ,
झांसी वाली रानी थी...।
मणिकर्णिका नाम था जिसका ,
वाराणसी में जन्म हुआ,
गंगाधर राव से ब्याह कर,
झांसी की रानी वह बनी..।
नाना की मुंहबोली ,
छबीली वह जानी जाती थी..,
मराठा की वीरांगना ,
वह झांसी की मरदानी थी..।
रानी लक्ष्मीबाई के ,युद्ध
कौशल के बड़े चर्चे थे...,
बरछी, ढा़ल, कृपाण, कटारी ,
उन्हें प्राणों से भी प्यारी थे।
रानी लक्ष्मीबाई के तो,
अस्त्र-शस्त्र ही गहने थे....,
दामोदर राव लक्ष्मीबाई के,
दत्तक पुत्र कहलाए थे...।
पीठ पर बांध पुत्र को युद्ध
किया, इतिहास बताता है,
उनकी वीरता की गाथा
,इतिहास आज भी गाता है..।
सूनी गोद हुई ,सुहाग भी उजड़ा,
फिर भी लक्ष्य को जिसने
ना छोड़ा था,
आजादी की शंमा लेकर के ,
जिसने अंग्रेजो को
लोहा मनवाया था।
तेईस वर्ष की आयु में ,
जिसने गौरव इतिहास रचाया था...,
लड़ते-लड़ते बलि चढ़ी ,
वह काला दिन भी आया था....।
है झांसी में आज भी अमर
निशानी, उसके बलिदान की...,
बुंदेले हरबोलों के  मुख,अब
भी जिसकी कुर्बानी है....।
बच्चे बच्चे के मुंह पर ,रानी
लक्ष्मी बाई की कहानी है...,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो,
झांसी वाली रानी है......।

✍️ रंजना बिनानी "काव्या"
गोलाघाट असम

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

सब कुछ मेरे पिता है ,
मेरे पालन पोषण में ही
इनके जीवन बीता है ‌।।
इनके आशीर्वादों से ही
हम हारकर भी जीता है ,
ये पिता श्री पर
एक कविता है ।।

पढ़ने के लिए
रामायण गीता है ,
मिथिला पुत्री सीता है ।
सब बताएं
बताने वाले पिता है ,
आज पिता दिवस
पिता दिवस पर रोशन
द्वारा रचित यह कविता है ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
रविवार , 20/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(33)
✍️ रोशन कुमार झा , Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 41
Sahitya Ek Nazar
20 June 2021 ,   Sunday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

पितृ दिवस , Happy Father's Day
পিতৃ দিবস বা বাবা দিবস , 🙏🌹💐
1. रोशन कुमार झा
पिता - श्री श्रीष्टु झा

2. पूजा कुमारी
पिता - श्री परमेश्वर प्रसाद गुप्ता

पिता प्रेम है प्यार है,
पिता बच्चों का व्यवहार है।
पिता कर्म,धर्म सदाचार है,
पिता पुण्य गुण्य आचार है।।
पिता धन दौलत दुलार है,
पिता हर घर का उलार है।
पिता धूप है छांव अलाव है,
पिता मधुर हवा सा बहाव है।।
पिता धैर्य है सहाय उपाय है,
पिता हर घर को सजाय है।
पिता से बड़ी न कोई कमाई है,
पिता हर चीज के दवाई है।।
पिता सुख सम्पदा सम्पति है,
पिता के साथ न कोई विपत्ति है।
पिता शिक्षा दीक्षा गति है,
पिता की आज्ञा ही सुमति है।।
पिता घर घर का व्यवहार है,
पिता हर बच्चे का संसार है।
पिता गाड़ी बंगला कार है,
पिता के बिना जीवन बेकार है।
पिता ज्ञान विज्ञान सुजान है,
पिता माँ की मुस्कान है।
पिता हर चीज की दुकान है,
पिता के बिना बच्चा बेनाम है।।
पिता एक उम्मीद है आस है,
पिता परिवार की हिम्मत विश्वास है।
पिता हर रीत और रिवाज़ है,
पिता परिवार का अनाज है।।
पिता संघर्ष होंसलों की दीवार है,
पिता परेशानी से लड़ने
की तलवार है।
पिता से हर घर गुलजार है,
पिता से ही तो हमारा संसार है

✍️ डॉ. जनार्दनप्रसादकैरवान:
ऋषिकेश उत्तराखंड

पिता -

अपनी खुशियों को त्यागता
खुद के भाव खोता
जबरन मुस्कराता दर्द पीता,
बच्चों के साथ बच्चा बनकर
बच्चों की खातिर
हाथी घोड़ा बनकर,
आंसू पीकर भी हंसता
रोना चाहकर भी
मुस्कुराता,
पिता बनना नहीं
होना कठिन है,
जब तक बच्चा
नहीं बनता पिता।

🖋 ✍️ सुधीर श्रीवास्तव
     गोण्डा(ऊ.प्र.),
8115285921

विश्व साहित्य संस्थान
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विश्व साहित्य संस्थान
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विश्व न्यूज़
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एनसीसी
http://vishnews20.blogspot.com/2021/02/blog-post.html



अंक - 41
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/41-20062021.html

कविता - 20(33)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2033-20062021-41.html

अंक - 42
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/42-21062021.html

कविता - 20(34)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2034-21062021-42.html

अंक - 43
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/43-22062021.html

कविता - 20(35)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-22062021-43.html
अंक - 44
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/44-23062021.html
कविता - 20(36)

http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2035-23062021-43.html

अंक - 37
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/37-16062021.html

कविता :- 20(29)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2029-15062021-37.html

अंक - 38
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/38-17062021.html

कविता :- 20(30)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2030-17062021-38.html

अंक - 39
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/39-18062021.html

कविता :- 20(31)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2031-18062021-39.html
अंक - 40
http://vishnews2.blogspot.com/2021/06/40-19062021.html

कविता :- 20(32)
http://roshanjha9997.blogspot.com/2021/06/2032-19062021-40.html


अंक - 42
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/

अंक - 41

https://online.fliphtml5.com/axiwx/tjxw/

अंक - 40
https://online.fliphtml5.com/axiwx/neyx/

जय माँ सरस्वती

साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
अंक - 42

रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो - 6290640716

आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

मो - 6290640716
🧘 🌅
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंक - 42
21  जून  2021

सोमवार
ज्येष्ठ शुक्ल 11 संवत 2078
पृष्ठ -  1
प्रमाण पत्र - 12
कुल पृष्ठ -  13

मो - 6290640716

🏆 🌅 साहित्य एक नज़र रत्न 🌅 🏆
89. आ. राजेश "तन्हा" जी

सम्मान पत्र - 1 - 80
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/295588932203890/?sfnsn=wiwspmo

सम्मान पत्र - 79 -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 41 से 44 तक के लिए इस लिंक पर जाकर सिर्फ एक ही रचना भेजें -
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/311880380574745/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 37 - 40
https://www.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/309307190832064/?sfnsn=wiwspmo

अंक - 34 से 36
https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/307342511028532/?sfnsn=wiwspmo

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आपका अपना
रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
मो :- 6290640716
अंक - 42 ,  सोमवार
21/06/2021

साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 42
Sahitya Ek Nazar
21 June 2021 ,  Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

_________________

विश्व साहित्य संस्थान
    🙏 प्रथम वर्ष 🌅
20/06/2020 , शनिवार से  20/06/2021 , रविवार
एक साल हो गया विश्व साहित्य संस्थान का
https://vishshahity20.blogspot.com/2020/06/blog-post.html?m=1



http://vishshahity20.blogspot.com/2021/02/11.html

✍️ ज्योति सिन्हा
मुजफ्फरपुर , बिहार
International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

31 st Bengal Bn Ncc Fort William
Kolkata -B , National Cadet Corps Directorate - West Bengal & Sikkim
Coy - 5 ( N.D.College )
Narasinha Dutt College , Howrah
University of Calcutta

कम्पनी :- पांचवीं , नरसिंहा दत्त कॉलेज , 
कलकत्ता विश्वविद्यालय
31 वीं बंगाल बटालियन एनसीसी
फोर्ट विलियम कोलकाता-बी ,
पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय
2.

International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

Ramakrishna college, ( R.K.College )
Madhubani , Bihar ( LNMU  )
National Service Scheme (NSS)
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी बिहार
राष्ट्रीय सेवा योजना ( रा.से.यो )

1.
परिचय -
✍️ रामकरण साहू"सजल"
ग्राम-बबेरू ,जनपद - बाँदा , उत्तर प्रदेश , भारत
शिक्षा- परास्नातक
प्रशिक्षण- बी टी सी, बी एड, एल एल बी
संप्रति- अध्यापन बेसिक शिक्षा
सम्पर्क सूत्र-  8004239966

आज द्वितीय चरण की समीक्षा में  बात कर रहा हूँ वही हरफ़नमौला  शायर , कवि और साहित्यकार की  जो अपने सहित्य के हर फ़न में माहिर है चाहे कविता,गीत या फिर ग़ज़ल । इससे पहले इन हज़रत के बारे में  इनकी ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल "के बारे में कुछ लिखूँ उससे पहले मेरे ज़हन में एक ग़ज़ल उभर रही है जो ज़नाब अमीर कज़लबाश जी की लिखी और सुरेश वाडेकर और लता मंगेशकर की गायी  है कि
मुझकों देखोगें जहाँ तक
मुझकों पाओगें वहाँ तक
रास्तों से कारवाँ तक
इस ज़मीन से आसमां तक
मैं ही मैं हूँ ,मैं ही मैं हूँ।
दूसरा कोई नहीं।
सही कहा है कज़लबाश जी ने की श्री रामकरण साहू "सजल" जी की कलम भी यही कहती है।कि मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं।अगर मैं इस ग़ज़ल संग्रह "सजल की ग़ज़ल" की बात करू तो इस पूरे संग्रह में एक से एक बहतरीन ग़ज़ल का पढ़ने को मिलेगी। अगर मैं ये कहूँ की इन ग़ज़लों को अगर संगीतबद्ध किया तो हिंदुस्तान को एक अच्छा ग़ज़ल की नुमाइंदगी करने वाला शख़्स मिल जाएगा।
इनके इस संग्रह में मुझे कुछ गज़लें बहुत पसन्द जैसे एक ग़ज़ल का में ज़िक्र करना चाहूँगा कि
हम पत्थर है हमीं पर इल्ज़ाम लगता है।
शीशा क्या टूटा हमारा नाम लगता है।
विखरते रहे वसूलों को वही बेकदर।
जिनका सुबह से शाम तक ही ज़ाम लगता है।
इन हज़रत की एक ग़ज़ल ही नहीं पूरे संग्रह में सभी ग़ज़ल एक बढ़कर एक है। ये वो शायर नहीं कि किसी जहाँपनाह की शान में कसीदे पढ़ते हो। एक ज़ुनूनियत की हद तक अपनी कलम को ले जाते है। जिसका नाम है "सजल की ग़ज़ल" हो सकता है इन ग़ज़लों को कहीं संगीत की दुनियाँ में स्थान मिले और मिलना चाहिये। मैं ज़नाब रामकरण साहू "सजल"जी का उनकी लेखनी का इस्तक़बाल करता हूँ।
तृतीय चरण की समीक्षा में फिर मुलाकात होगी।
राम-राम

✍️ आ. प्रमोद ठाकुर जी
सह संपादक / समीक्षक
9753877785

2.
International Yoga Day, 21 June 2021.
विश्व योग दिवस , বিশ্ব যোগ দিবস

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष , 34 वीं बिहार बटालियन एनसीसी के लोकप्रिय ए.एन.ओ, राष्ट्रीय सेवा योजना, एनएसएस जिला नोडल अधिकारी डॉ . राहुल मनहर सर जी योगा करते हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ...

3.

शीर्षक:-

पिता

सुबह की खुशबू शाम की
सुहानी रात है पिता--
मुझे खुशी का एहसास दिलाये
और खुद दर्द सहता है पिता-
मेरे जीवन के हर दुखों
में मेरे साथ है पिता
खुद कडी धुप में काम करता
मुझे छाँव में रखता है पिता-
मेरे हृदय में क्या है
सब जानता है पिता
मेरे खवाबों को सच करता है पिता-
जब भी कहीं से आये वो नजरें
पागल की तरह ढुढती है पिता--
मेरे सारे दुःख दर्द हर लेता है पिता
मेरी धरती मेरी आसमान है पिता-
मेरी सांस मेरी धड़कन है पिता
मेरा खुदा मेरा परवर दिगार है पिता--
उसके बाहों में झुला जो
वो मेरा यार है पिता
उसके गोदी में जो बचपन गुजारा
वो प्यार है पिता---
मुझे रूलाना फिर मुझे हँसाना
वो मेरा है पिता
मुझे लोरी सुनाता और सुबह
स्कूल ले जाता है पिता--
तु नहीं है तो जाने कैसा
लगता है पिता
तेरे बिना मेरा जीवन सुना
सुना लगता है पिता--
मेरा खुदा मेरा भगवान
सब है पिता
मेरे जीवन जीने का
सही मार्ग है पिता--
मेरे सारी गलतियों को जो
नज़र अंदाज करता है पिता
मेरे आखों का तारा मेरा चाँद है पिता
सुबह की सूरज शाम की
अजान है पिता--

     ✍️ प्रभात गौर
      पता:- नेवादा जंघई
         प्रयागराज

4.

2
कुछ इस तरह हुआ होगा
उस बस में उस बच्ची के साथ
कुछ काले पंजे उसकी ओर बढे होंगे।
सप्तमी के चाँद की नोंक से चुभें होंगे।
बो बस से दूर भागना चाहती होगी।
जैसे उस समय पोल दरख़्त
,बस से दूर भाग रहे होगें
सप्तमी से पूनम की ओर बढ़ते,
चाँद के आकार से,
बो काले पंजे बढ़े होंगे।
कलमयी रात में दिनकर की किरण
सी,एक आस जगी होगी।
वो निराशा सी अमानवीय क्रीड़ा
उसने घंटों सही होगी।
सिर्फ दरख्तों की सरसराहट,
बस का कोलाहल हो रहा होगा।
दरिन्दों का अट्हास कानों में
पारा सा पिरो रहा होगा।
जब बस्त्रों को शरीर से
अलग किया होगा।
एक-एक अंग चीखा
और चीत्कारा होगा।
बस्त्र किसी कोने में मुहँ
छिपाये पड़े होंगे।
असहाय अपनी किस्मत
पर रो रहे होगें।
वो बस की किसी सीट पर
निर्जीव सी पड़ी होगी।
कलमयी क्रीड़ा, अमानवीयता
के पल सह रही होगी।
जब निर्जीव समझ सड़क
पर फेंका होगा
ओस कणों ने शरीर को ढ़कने
का असफल प्रयास किया होगा।
एक बच्ची के इंसाफ में,माँ
ने कितने कष्ट सहे होंगे।
वो बचपन में सुनाई लोरी-गाने
रुंध गले से, एकांत में गुनगुनाये होंगे।
आओ उन दरिन्दों की फांसी
का आज जशन मनाये।
आओ आज इंसाफ का
पन्द्रह अगस्त मनाएं।

✍️ प्रमोद ठाकुर
ग्वालियर , मध्यप्रदेश

5.
गीत

पिता हमारे जान से प्यारे

माँ को वसुधा पिता
को आसमाँ कहते हैं
दुख दर्द सभी जो,
औलाद के सहते हैं
मत देना बना इन्हें,मेहमां
किसी गैर के आशियाँ का
यही सोच सोच कर,ये
बेबस रात दिन डरते हैं
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।
माँ के कंगन सिन्दूर बने ये,
हसीं आशियाँ के सपने सारे।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।।
रूठ कभी गर मैं जो जाऊँ,
कितना मुझे मनाते।
यूँ ना रूठों जान मेरी तुम,
बार बार समझाते।।
सीने से मुझे लगाते,तो
अश्कों के लगें फिर धारे।
पिता हमारे जान से प्यारे
फलक के लगते हसीं सितारे
ना मिले कोई मुझको हमजोली,
संग ये मेरे खेलें 
लुटाके अपनी सारी खुशियाँ
मेरी बलायें लेलें
दुख दर्द मेरे सारे झेलें
, कष्टों से मुझे उबारें
पिता हमारे जान से प्यारे
फलक के लगते हसीं सितारे
कभी नहीं करते गुस्सा,
बस प्यार सदा बरसाते।
मेहनत मजदूरी कर-कर के
घर को हैं स्वर्ग बानाते।
फिर देख देख इठलाते,
मानो सपने सच होते सारे ।
पिता हमारे जान से प्यारे ।
फलक के लगते हसीं सितारे ।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।
माँ के कंगन सिन्दूर बने ये,
हसीं आशियाँ के सपने सारे।।
पिता हमारे जान से प्यारे।
फलक के लगते हसीं सितारे।।

✍शायर देव मेहरानियाँ
       अलवर,राजस्थान
    (शायर,कवि व गीतकार)
      _7891640945

6.
नमन मंच
विषय-

उम्मीद पिता

पिता उम्मीद का सूत्र ,
होता वह विश्वास ,
विश्वास उसका न खोइए ,
मिलता सदैव त्रास।
संघर्ष की वह आंधियां ,
हौसले की दीवार,
बराबर सबको मानता ,
बनाता हकदार ।
पिता सबका "जमीर"सम,
ह्रदय से जागीर ,
जिसके पास पिता सदा ,
वही सबसे अमीर।
बच्चों हेतु सदा से ही ,
करता बहुत से काम,
बच्चे जब उन्नति करते
,माथा ऊँचा,शान।
बच्चों तुम करना हमेशा ,
पिता का बड़ा मान ,
उसके ह्रदये तुम बसे,
उससे है पहचान ,

✍️ पूनम सिंह
लखनऊ , उत्तर प्रदेश

7.
लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर ,
बुंदेली भाषा में गीत सादर समर्पित-

धर लयो चंडी जैसो रूप
जे निकलीं युद्ध करन मनु बाई
घोड़े पे चढ़ गईं चंडी समान
दान्तन के बीच लई है लगाम
पीठ पे बंधो लाल प्यारो
  तेजी से धाईं जाबत हैं
   दुर्ग से दुर्गा को धर रूप
  चढ़ीं चंडी सी घुरबा पीठ
   क्रोध से अगन तेज मों पे
   आँखन से गोलीं बरस रहीं
ये पहुंचीं गोरन बीच भबानी
उड़ा दए छक्के सबन के जाए
तोर दये उनके तीखे तीर
तमंचा ,तोप, तीर, तलवार
  पहुंच जातीं रानी जिस ओर
  परत उत गोरन के मुख मन्द
  काटतीं ककड़ी जैसे शीश
  युद्ध में मारे गोर अनेक
मार दयो गीदड़ जैसो उन्हें
बना दई युद्ध भूमि श्मशान
  न ऐसो युद्ध कबहुँ देखो
   कि एक नारी ने करो हताश
    गोरन के छक्के छुड़ा दये
   लक्ष्मी काली बन के आईं।
जीते जी देह छुअन न दई
अपन ने ही तो धोका दयो
हार न स्वीकारी उनने
युद्ध में युद्ध करत मर गईं।
   बुन्देलन को गौरव बन आईं
   नारियन को अभिमान बनी
   युगों तक याद करें उनको
    वो मर्दानी रानी कहलाईं
अमर भई उनकी कीर्ति जहान
अमर भयो नारियन को सम्मान
अमर भई लक्ष्मी बाई महान
युगों तक उनके गायें गान।
     धर लयो चंडी जैसो रूप
     जे आईं युद्ध करन मनु बाई ।

         ✍️   डॉ. ज्योति उपाध्याय
          प्राध्यापक , मुरार कॉलेज ।
            18-06-2021

8.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
(२१ जून) पर विशेष-
[ योग भी हो जीवन में ]

स्वस्थ,मस्त रहने को,
योग भी हो जीवन में।
ताजगी और स्फूर्ति,
बनी रहेगी तन मन में।।
यम,नियम,आसन,
प्राणायाम,प्रत्याहार।
धारणा,ध्यान,समाधि,
का भी करिए प्रचार।
ये हैं अष्टांग योग,
अपनाओ इसे जीवन में।
प्रचलन में आसन,
प्राणायाम,ध्यान है
आठ अंग वाला
योग जीवन विज्ञान है
इनको अपनाओ और 
जीते  रहो यौवन में।
श्वांसो पर नियंत्रण से
लंबी होती आयु
प्राणायाम  कर पाते
योगीजन प्राणवायु
रोगमुक्त रहे शरीर ,
हो विस्तार जन जन में।
विश्व सारा मान रहा,
योग के महत्व को
इससे पा सकता
मनुष्य भी देवत्त्व को
अलौकिक आनंद अनुभव
हो जाता है मन में।

✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर, उत्तर प्रदेश

9.
जला नहीं -

जला नहीं प्रहलाद,
होलिका बनी
राख की ढेरी,
झूठ - सत्य का
अंतर होते
लगी नहीं कुछ देरी, 
दुहराता.....,
ईतिहास सदा ही
अपनी बातें पुरानी
सदैव....,
सत्य की विजय हुई है
गया झुठ का पानी,
मद-मस्ती में
गलती ना होगी, 
सीख ये हम
होली-पर्व पर सब लेलें,
पर्व आज होली का
हम सब नऐ रंग में खेल !!

✍️ चेतन दास वैष्णव
       गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा,  राजस्थान
स्वरचित मौलिक मेरी रचना
10
#विषय- पिता
#विधा- #स्वतंत्र. कविता

         
🌹पिता🌹

पिता वही जो पालक बन,
घर परिवार चलाता है,
.परमपिता परमेश्वर को 
भी ,पिता कहा जाता है।
हम  सब बच्चों के,पिता
ही जन्मदाता हैं,
हम सब की परवरिश कर
,पिता ही  लाड़ लडाता है।
पढ़ा लिखा कर शान से
,जो जीना हमें सिखाता है,
फरमाईश हम सबकी,
जो पूरी  करता रहता है।
पिता हमारे जीवन दर्शन ,
पिता हमारे प्राण हैं,
पिता हमारे पालक ,रक्षक ,
पिता ही स्वाभिमान है।
पिता हमारे घर के आधार,
पिता एक मजबूत दीवार है,
पिता बिना घर सूना सूना
,पिता हमारी शान है।
पिता पथ प्रदर्शक मेरे,
प्रेरणा के वो स्रोत हैं,
पिता का साया ठंडी छाया ,
पिता का प्यार मूरत है।
पिता हमारे त्याग समर्पण की,
साक्षात प्रतिमूर्ति हैं,
पिता के पद चिन्हों पर चलकर,
मिलती मुझको पहचान है।
मै अपने पिताजी की लाडली,
माता-पिता दोनों मेरी जान है,
हम बच्चों पर  करते वो,
अपना तन -मन- धन न्योछावर हैं।
ऐसे मात पिता दोनों को
,मेरा बारंबार प्रणाम है।।

✍️ रंजना बिनानी
गोलाघाट असम

11.
[20/06, 16:46] +91 94106 02648: एक मुकतक आपके लिए

पकड़ कर हाथ की
उंगली चलना सिखाता है !
मिले परिवार को ...
खुशियाँ जीवन खपाता है!
चले खुद पाव .....
नंगे बेटे को कांधे बैठता है !
मगर बेटा बुढ़ापे में .....
उसे आंखे दिखाता है!
पिता से ख्वाहिशें हैं
पिता से ही गुमां भी है!
पिता का डर खामोशी
,हौसला जबां भी है!
पिता से खुशी घर में
पिता से रौशनी भी है!
पिता ही है जमीं मेरी .
पिता आसमां भी है!

✍️ डॉ. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद बिजनौर

12.
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा , बिहार
विषय - वैश्विक महामारी के समय
में योग का महत्व
विधा - निबंध

प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। कोविड - 19 कोरोना काल में कोरोना - वायरस के चलते दुनिया तहस नहस हो गया , लॉकडाउन जैसे मुसीबत का सामना करना पड़ा । घर पर रहकर समय व्यतीत करना पड़ता रहा। लोगों का मन घर में बैठकर व दुखद समाचार सुनकर मन उभते गया , जैसे कि हम सभी जानते है खाली दिमाग़ में शैतान का वास होता है । ऐसे समय में कितनों ने आत्महत्या कर ली  इस वैश्विक महामारी में दुनिया की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई । घर परिवार के लोग एक दूसरे को देखने नहीं मांगते थे  , सभी घर पर बैठकर समय बीताते थे मोबाइल , टी.बी देखकर लोगों का मन उभ जाता रहा तो लोगों ने योग का सहारा लिया ।

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ' दिनकर ' जी अवकाश वाली सभ्यता कविता में सही कहें है -

अवकाशवाली सभ्यता 
अब आने ही वाली है 
आदमी खायेगा , पियेगा
और मस्त रहेगा 
अभाव उसे और किसी चीज़ का नहीं ,
केवल काम का होगा 
वह सुख तो भोगेगा ,
मगर अवकाश से त्रस्त रहेगा 
दुनिया घूमकर 
इस निश्चय पर पहुंचेगी 
कि सारा भार विज्ञान पर डालना बुरा है 

कोरोनावायरस के समय में लोगों अपने घर , छत पर सुबह-सुबह योग करके सकारात्मक सोचों का ग्रहण करके अपने दिन की शुरूआती करते थे । योग से उनका मनोबल बना रहता था कि जैसे कि हम सभी जानते है योग होने देता न रोग , इस कथन को ध्यान में रखते हुए मुसीबत के समय में योग का सहारा लिया ,

चला व चले जा रहें हैं कोरोना काल ,
लिए योग का सहारा पूरे संसार ।।
योग में ही है हर बीमारियों का उपचार ,
किए हम सभी नियमों का पालन
गया न कोरोना हार ।।

✍️ रोशन कुमार झा
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी
बी. ए , हिन्दी आनर्स द्वितीय वर्ष
राष्ट्रीय सेवा योजना
Roshan Kumar Jha

साहित्य एक नज़र में प्रकाशित -
https://online.fliphtml5.com/axiwx/cayp/

नमन 🙏 :-  साहित्य एक नज़र 🌅

विवाह , जनेऊ , मुंडन ,
इसी में होता एक दूसरे का दर्शन ।।
कलकत्ता , दिल्ली , मुम्बई
लोग जाते बाहर कमाने धन ,
आज इक्कीस जून
तो रोशन
कर लो योगा , रहों प्रसन्न ।।

✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज,कोलकाता
रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी , बिहार
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
सोमवार , 21/06/2021
मो :- 6290640716, कविता :- 20(34)
✍️ रोशन कुमार झा ,
Roshan Kumar Jha , রোশন কুমার ঝা
साहित्य एक नज़र  🌅 , अंक - 42
Sahitya Ek Nazar
21 June 2021 ,   Monday
Kolkata , India
সাহিত্য এক নজর

अंक - 41 - 44

नमन :- माँ सरस्वती
🌅 साहित्य एक नज़र 🌅
कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका
मो :- 6290640716

रचनाएं व साहित्य समाचार आमंत्रित -

अंक - 41 से 44 तक के लिए आमंत्रित

दिनांक - 20/06/2021 से 23/06/2021 के लिए
दिवस :- रविवार से बुधवार
इसी पोस्ट में कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी नाम के साथ एक रचना और फोटो प्रेषित करें । एक से अधिक रचना भेजने वाले रचनाकार की एक भी रचना प्रकाशित नहीं की जायेगी ।।

यहां पर आयी हुई रचनाएं में से कुछ रचनाएं को अंक - 41 तो कुछ रचनाएं को अंक 42 , कुछ रचनाएं को अंक - 43 एवं बाकी बचे हुए रचनाओं को अंक - 44 में प्रकाशित किया जाएगा ।

सादर निवेदन 🙏💐
# एक रचनाकार एक ही रचना भेजें ।

# जब तक आपकी पहली रचना प्रकाशित नहीं होती तब तक आप दूसरी रचना न भेजें ।

# ये आपका अपना पत्रिका है , जब चाहें तब आप प्रकाशित अपनी रचना या आपको किसी को जन्मदिन की बधाई देनी है तो वह शुभ संदेश प्रकाशित करवा सकते है ।

# फेसबुक के इसी पोस्टर के कॉमेंट्स बॉक्स में ही रचना भेजें ।

# साहित्य एक नज़र में प्रकाशित हुई रचना फिर से प्रकाशित के लिए न भेजें , बिना नाम , फोटो के रचना न भेजें , जब तक एक रचना प्रकाशित नहीं होती है तब तक दूसरी रचना न भेजें , यदि इन नियमों का कोई उल्लंघन करता है तो उनकी एक भी रचना को प्रकाशित नहीं किया जायेगा ।

समस्या होने पर संपर्क करें - 6290640716

आपका अपना
✍️ रोशन कुमार झा
संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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सम्मान पत्र - साहित्य एक नज़र ( 1 - 80 )
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सम्मान पत्र ( 79 -

https://m.facebook.com/groups/287638899665560/permalink/308994277530022/?sfnsn=wiwspmo

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संस्थापक / संपादक
साहित्य एक नज़र 🌅

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अंक - 41
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कविता - 20(33)
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कविता - 20(34)
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कविता - 20(35)

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अंक - 44
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