विश्व साहित्य संस्थान , क्रमांक :- 4
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनांक :- 23/06/2020
जगन्नाथ जी के रथयात्रा पर आप सभी रचनाकारों एवं समस्त पाठकों को देर सारी शुभकामनाएं 💐💐💐💐🙏🙏
जगन्नाथ जी का आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे,
दिवस :- मंगलवार , की रचनाएं व चित्र
############# क्रमांक :- 01
Amitabh Sir:
Dard ka aalam h, har jagah fareb h, nazar jaha terih meri jaan, wo mera dil nahi mera jeb h.
अमिताभ सर गुरु जी 🙏 :-
दर्द का आलम है , हर जगह फरेब है, नज़र तेरी मेरी जान,
वो मेरा दिल नहीं मेरा जेब है ।
############# क्रमांक :- 02
✍️ Ashish kumar jha
Gram - Balain Madhubani Bihar
Jaam bhare the hotho par, par mujhe na pilaya gya.
Bate prasad prem ke sab me, par mujhe pas v na bulaya gya
आशीष कुमार झा :-
जाम भरे थे होता पर मुझे ना पिलाया गया,
बांटे प्रसाद प्रेम के सब में, पर मुझे पास भी न बुलाया गया ।
✍️ आशीष कुमार झा
ग्राम :- बलाईन, मधुबनी, बिहार
############# क्रमांक :- 03
नमन🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
विधा :- लघु कथा
भाषा :- हिन्दी
शीर्षक :- "दहेज की आग"
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ऐ खुदा! गुनाह बता; क्या खता मेरी थी?
बेटी रूप में धरती पर आई, मैं भी तो तेरे द्वारा रचित एक मूर्ति थी।
आगे(लड़की) रोते हुए कहती है,
पैसे जोड़ते-जोड़ते उम्र बीत गई, मेरे पिता की फिर भी दहेज में कुछ कमी रह गई; दे ना सके दहेज इसलिए उनकी आँखे नम थी। ऐ खुदा! तू बता क्या कमी रह गई थी?
बड़े अरमानों से डोली सजाया, माँ के कंगन तक गिरबी रख बाया; पर लुटेरे की चाहत में, चाहत कम ना थी। हुआ पिता शर्मिंदा जब कर ना सका चाहत पूरी। ऐसे हालात में एक पिता कैसे साँस ले सकता था? किस प्रकार अपनी बेटी को रोता हुआ देख सकता था? जब तक डॉक्टर को बुलाया पिता की साँस जा चुकी थी। बेटी को डोली में बैठाने की खातिर माँ की मांग सुनी हो गई। ऐ खुदा! तो इसमें क्या खता मेरी थी?
पाप-पुण्य का लेखा-जोखा तू बड़ा ही रखता है; अब चुपचाप बैठ तमाशा मेरी जिन्दगी का देखता है।
अंत में देखिए क्या कहती है(लड़की),
ऐ खुदा! तुझसे बस इतना है कहना, ऐसे ही रहा दहेज प्रथा तो गरीब के घर में बेटी कभी मत देना, बेटी कभी मत देना!
✍ मृत्युंजय एम झा
मो. :- 9870305598
############# क्रमांक :- 04
नमन🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनाक :- 23/06/2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- काव्य
भाषा :- हिन्दी
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साथ चलने का सफर हमारा
था बस यहाँ तक ही
सफर में मिलने से पहले
थे एक-दूजे से अनजान
फिर धीरे-धीरे हुई
अपनी जान-पहचान
अब बन गए हम
एक-दूजे की जान
जब कोई वास्ता न था हमार
तब एक थी राह हमारी
पर आज
जब दिल जुड़े तो
अलग हो गई हाथों की रेखा
इसे ही कहते है
क़िस्मत का लेखा
बिछड़ कर एक-दूजे से
फिर भी साथ है हम
एक-दूजे के लिए
बेहद खूबसूरत एहसास है हम
✍ज्योति झा
बेथून कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- रूपौली, मधुबनी, बिहार
मो. :- 9330839434
############# क्रमांक :- 05
नमन🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
विधा :- काव्य
भाषा :- हिन्दी
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"जिन्दगी"
पहले जब,
लोगों के नजर से
जिन्दगी को देखा तो
मायूस हुआ...
पर आब ,
जब से अपने नजर से
देखना आरम्भ किया है
जिन्दगी को तो सच पुछो तो
मानो प्यार सा हो गया है
जिन्दगी से...
✍ रोशन झा
मो. :- 7065494198
############# क्रमांक :- 06
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
विधा :- शायरी
भाषा :- हिन्दी
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मेरे पास तुम्हारी कोई तस्वीर नहीं...
क्या करूंगा मैं...
बटुआ खरीद कर...
✍ अभिषेक भूपेश झा
मो. :- 8292268589
############# क्रमांक :- 07
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनाक :- 23/06/2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- काव्य
भाषा :- हिन्दी
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"मौन"
अन्तर्मन के अनकहे जज़्बातों के बीच
जब पनप जाती है मौन भावनाएं
तो दरारों से झांकने लग जाती है
एहसासों की असंख्य किरणें
जो हटा देती है स्थिर मन की परछाई से नकाब
और शब्दों के अम्बार को भावों की गहराई में रंग..
कर जाती है मौन की दास्तां बयां...
✍ चुनचुन गिरि
मो. :- 7838841177
############# क्रमांक :- 08
প্রণাম 🙏:-বিশ্ব সাহিত্য সংস্থা।
তারিখ :-23/06/2020
বার :- মঙ্গলবার
বিষয় :- কবিতা
শিরোনাম :- রথযাত্রা
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আজ রথযাত্রার কতই না আনন্দ
রথের রশিতে টান দেবে যত ভক্ত বৃন্দ।
সুপ্রিম কোর্টের আদেশ নাকি রথ টানা যাবে না।
পুরীর রথের চাকা ছাড়া আর অন্য কোন রথের চাকা ঘুরবে না।
ঘুরছে আজি বিশ্বভুবন হচ্ছে দিবা রাত্রি।
তোমার নাকি অপার মহিমা দেখাও প্রভু তোমার শক্তি।
কত নীলা দেখালে প্রভু জগন্নাথের রূপে
একটু কৃপা করো প্রভু করোনা মুক্ত করে।
সংক্রমণের হার কমিয়ে দাও সুস্থ তারা হার বাড়িয়ে।
এই মিনতি জানাই প্রভু তোমার চরণে।
সকল বিশ্ব রক্ষা করো করোনা কে হার মানিয়ে
অসুস্থ পৃথিবীর সুস্থ হোক তোমার কৃপাতে।
এই নিবেদন রাখি প্রভু তোমার চরণে।
করোনা মুক্ত হোক তোমার জয় গানে
✍️ উজ্জল পন্ডিত
গ্রাম :-ছত্রশাল /হুগলি
মোবাইল নাম্বার:-8389828147
शीर्षक :- रथयात्रा
उज्जल पण्डित , Ujjal Pandit
छत्रशाल , हुगली, पश्चिम बंगाल
भाषा :- बंगाली
############# क्रमांक :- 09
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
रूमाल पर मधुबनी, मिथिला पेंटिंग
✍️ पूजा गुप्ता
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
राष्ट्रीय सेवा योजना
एलएनएमयू , दरभंगा
23/06/2020 मंगलवार
############# क्रमांक :- 10
नमन🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनांक :- 23/06/2020
दिवस :- मंगलवार
विधा :- कविता :-16(71)
विषय :- विश्व साहित्य संस्थान बनैनी
भाषा :- भोजपुरी
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साहित्य के सेवा हम हूं रोशन कैनी ,
तब गुरु अमिताभ, आशीष सह ज्योति जी
संगे विश्व साहित्य संस्थान समूह बनैनी ।
आज हअ जगन्नाथ जी के रथयात्रा , ओहो पूजा करके मनैनी ,
तब लोऊवा लोगेन जलेबी, पापड़ खैनी की न खैनी ।।
कुछ मान सम्मान पैनी ,
कब , जब साहित्य से दिल लगैनी ।
कविता लिख लिख के दुनिया के अपन ग़म बतैनी ,
और का बताई लोऊवा लोगेन के अपन प्रिय के
कबो न मिले ख़ातिर बुलैनी ।।
✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716 कविता :-16( 71)
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