विश्व साहित्य संस्थान, क्रमांक :- 3
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनांक :- 22/06/2020
दिवस :- सोमवार, की रचनाएं व चित्र
############# क्रमांक :- 01
भाषा :- हिन्दी
विधा :- कविता
विषय :- पिता
हर पिता अपनी संतान को जीवन में
हर वो सुख-सुविधा प्रदान करना चाहते है
जिससे उनकी संतान,
सुख-सुविधा सम्पन्न जीवन वयत्तित कर सके
उसे अपने जीवन में वे कष्ट कभी ना उठाना परे
जो कभी उन्होनें उठाया है
ये सब तो एक तरफ सही है
परंतु इनसे भी कई गुणा अधिक आवश्यक है
अपनी संतान को ऐसी शिक्षा प्रदान करना
जिससे वो अपने जीवन में
सहीं गलत के बिच के अंतर को जान
उचित निर्णय ले अपना व्यक्तित्व को निखारे..
✍ ज्योति झा
बेथून कॉलेज, कोलकात्ता
ग्राम :- रूपौली, मधुबनी, बिहार
मो. :- 9330839434
############# क्रमांक :- 02
नमन🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
दिनांक :- 22/06/2020
दिवस :- सोमवार
भाषा :- हिन्दी
विधा :- कविता
तनीक रूक
हम इतने भी बूढ़े नहीं हुए
जितना तुम हमें समझ रहे
वो बात अलग है कि
अब इन हड्डियों में वो जान नहीं
चेहरे पर थोड़ी सी झुर्रियां आ गई है
पीठ थोड़ी सा झुक गई
और बालों में सफेदी छा गई
पर इसका अर्थ ये नहीं कि
हम बूढ़े हो गए
अभी भी हमारे भीतर
जिन्दादिली मौजूद है
बच्चपना आज तक जिन्दा है
✍ ज्योति झा
बेथून कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- रूपौली, मधुबनी, बिहार
मो. :- 9330839434
############# क्रमांक :- 03
ভাষা :- বাংলা
শিরোনাম :- সূর্যগ্রহণ
ঘটল এক মহাজাগতিক ঘটনা।
চন্দ্র সূর্য পৃথিবী একত্রে তিন জনা।
সূর্য বুঝি লজ্জা পেয়ে নুকাল চাঁদের গায়ে।
পৃথিবী হলো আধার মানব জাতি সূর্যগ্রহণ বলে।
নতুন একটা খবর এলো কবি হয়ে ওঠার
রসায়ন বন্ধু লিংক পাঠালো ফেসবুকে যে তার।
বুকটা আমার ভরে গেল আনন্দের এল জুয়ার।
নতুন করে কবিতা লেখা শুরু করব আমি এইবার।
বিশ্ব সংস্থা গ্রুপ দিল নতুন সাহসিকতা।
কবি হওয়ার পথ চলতে নতুন এক রাস্তা।
এই রাস্তায় পথ চলে করবো জীবনে জয়।
আমার কবিতা ছড়িয়ে দেব গোটা বিশ্বময়।
✍️ উজ্জল পন্ডিত
शीर्षक :- सूर्यग्रहण
उज्जल पण्डित , Ujjal Pandit
भाषा :- बंगाली
############# क्रमांक :- 04
मधुबनी , मिथिला पेंटिंग
✍️ पूजा गुप्ता
रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी
राष्ट्रीय सेवा योजना
एलएनएमयू , दरभंगा
############# क्रमांक :- 05
नमन 🙏 :- विश्व साहित्य संस्थान
विषय :- परोपकार
विधा : कविता, भाषा :- हिन्दी
दिनांक :- 22/06/2020
दिवस :- सोमवार
काँटा और फूल दोनों करते हमारा परोपकार ,
दर्द देते काँटा ,
सुगंध फैला कर ही तो करते फूल हमारा उपकार ।
तब हम रोशन प्रस्तुत किया हूं , दोनों पर अपना विचार ,
फूल तो फूल ,
कांटा का भी तो ज़रूरत है इस जीवन में यार ।।
जब दर्द मिलेगी काँटों से , होगी कुछ न कुछ उपचार ,
क्षणिक है वह फूल, जिस पर चढ़े है रंग लाल ।
आज ताजी फूल है, कर बासी होते ही उसका भी होगा तिरस्कार ,
यही तो जीवन है यारों ,
फूल से बेहद है हमें काँटों से प्यार ।।
® ✍️ रोशन कुमार झा 🇮🇳
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
मो :- 6290640716, कविता :- 16(70)
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